वन वृत्त शिवपुरी और गुना डीएफओ की जुगलबंदी में करोड़ों का घोटाला

 



वन वृत्त शिवपुरी और गुना डीएफओ की जुगलबंदी में करोड़ों का घोटाला 

देवेंद्र पालीवाल सेवानिवृत होते ही डीएफओ हेमंत रायकवार का ट्रांसफर चर्चाओं में।

शिवपुरी /गुना वनमण्डल में जंगलों की अंधाधुंध कटाई और वन भूमि पर ताबड़तोड़ अतिक्रमण सहित जंगली जानवरों को बचाने में तो फिसड्डी साबित रहा । इन सबके बाद हुआ वन सुरक्षा सहित तमाम योजनाओं में भ्रष्टाचार में पहले पायदान पर पहुंचा ।

गुना वनमण्डल में सीसीएफ डीके पालीवाल तत्कालीन गुना वन मण्डल अधिकारी रहते हुए प्लांटेशनों में दोहरी सुरक्षा के नाम पर सीपीटी सीपीडब्ल्यू में जमकर धांधली कर कमीशन का खेला। इसी खेल को शिवपुरी में सीसीएफ की नियुक्ति के दौरान भी बदस्तूर जारी रखा गया । जिसमे जुगलबंदी के तौर पर तत्कालीन गुना डीएफओ के तौर पर पदस्थ हेमंत रायकवार ने पालीवाल के साथ भ्रष्टाचार में कदम से कदम मिलाकर कमीशन का खेल खेला । हैरानी की बात है करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ मामले सबूतों के साथ उजागर हुए पर वन विभाग सहित शासन प्रशासन के कानो पर जूं तक नहीं रेंगी । इसी तरह तत्कालीन डीएफओ गुना हेमंत रायकवार ने भी वन संरक्षण सहित अन्य वित्तीय मामलों में जमकर हेरा फेरी की गई है। वर्तमान में हुए प्लांटेशनों में तो भ्रष्टाचार के आयाम स्थापित किए गए। परसेंटेज के खेल में छोटी से छोटी योजना सामग्री से लेकर बड़ी से बड़ी योजना फंडों में  व्यापक तौर पर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया। 




सीसीएफ डीके पालीवाल के समय प्लांटेशनों में दोहरी सुरक्षा के नाम पर जमकर धांधली।


गुना वन मण्डल में तत्कालीन प्रभारी के तौर पर पदस्थ डीके पालीवाल ने जमकर भ्रष्टाचार किया । दोहरी सुरक्षा के नाम पर सीपीटी (पशु अवरोधक खंती) सीपीडब्ल्यू (पत्थर की दीवाल) निर्माण में जमकर धांधली की गई है। साथ ही दोहरी सुरक्षा का प्रावधान भी तत्कालीन गुना वनमण्डल प्रभारी रहकर वन व्रत शिवपुरी की कमान समालते हुए डीके पालीवाल ने जारी किया । जबकि उक्त आदेश दोहरी सुरक्षा समांतर रूप से किए जाने का वन विभाग मुख्यालय से किसी भी प्रकार का निर्देश नही हुआ था ।ओर जिसकी पुष्टि एक आरटीआई से प्राप्त गुना वनमण्डल अधिकारी द्वारा अपने पत्र क्र./व्यय/2020/6643 दिनाक 05/07/2022 से भी प्राप्त होती है। वही दूसरी ओर देखा जाए तो जो मौके पर सीपीटी सीपीडब्ल्यू के कार्य हुए उनमें कार्य मजदूरी दर पर मजदूरों से होना  तय था । पर ज्यादातर काम सीपीटी खंती और पौधरोपण का कार्य मशीनों से कराया गया है। वही असली मजदूरों को सीपीडब्ल्यू में आधी दर का भुगतान तक नहीं किया गया । सबसे मजेदार बात इन मजदूरों के फर्जी व्हाउचार बनाकर भुगतान किया गया ,जिनमे ज्यादातर फर्जी मजदूर वन कर्मियों के रिश्तेदार परिचित सहित खनन माफिया दुकानदार जीएसटी देयक , बंगला कोठी लग्जरी चार पहिया वाहन से परिपूर्ण सक्षम लोगो के खातों में मजदूरी का पैसा डाला गया और परसेंटेज का खेल खेला गया । वही खाद मिट्टी सहित पानी टैंकर का खेल भी बाखुब किया गया कागजों में खाद मिट्टी पानी सप्लाई कर फर्मों से सांठ गांठ कर जमकर धांधली की गई । 



गुना वनमण्डल अधिकारी हेमंत रायकवार ने भी खेला कमीशन का खेल ।


कहते है जब गुरु शक्कर खाए तो चेला केसे पीछे रह सकता है। गुरु चेला की जुगलबंदी रहे गुरु पालीवाल चेला हेमंत रायकवार ने भी शक्कर की जगह गुड खाया । और पालीवाल के सेवानिवृत से पहले गुना में विदाई समारोह के दौरान गुना डीएफओ हेमंत रायकवार ने सीसीएफ पालीवाल को राम तो खुद को हनुमान बताया था । तत्कालीन गुना डीएफओ ने जून 2022 के जंगली जानवरों के शिकार की रोकथाम हेतु राजस्व क्षेत्र में 25 लाख के फंड को 30% कमीशन की चाह में फर्जी सुरक्षा श्रमिको के नाम से बंदरबाट कर दी । डीएफओ हेमंत रायकवार के कार्यकाल में हुए केम्पा सहित तेंदू पत्ता राशि मद में आए प्लांटेशनों में जमकर भ्रष्टाचार किया । मजदूरों का काम मशीनों से हुआ जमीन पर मजदूरों को तय दर से आधा भुगतान हुआ जिसकी शिकायत कलेक्टर को सपथ पत्र के साथ की गई थी । वही खाद मिट्टी भी आस पास या वन क्षेत्र से उठाई गई एक तरह से अवैध उत्खनन किया गया ,और लाखो का भुगतान खाद मिट्टी के नाम फर्मों को कमीशन की सांठ गांठ में फर्जी किया गया । हेमंत रायकवार ने तो फर्जी व्हाउचर भुगतान को आवक जावक शाखा से छुपाकर सिर्फ रजिस्टर पर नंबर चढ़ाते हुए रातों रात ट्रेजडी को भुगतान हेतु पहुंचा दिए थे।जिससे किसी भी कर्मी के हाथ फर्जी व्हाउचर ना लग लग सके और बात मीडिया तक न पहुंचे । पालीवाल सेवानिवृत से महज कुछ दिन पहले और डीएफओ भी ट्रांसफर से कुछ दिन पहले 250 हेक्टेयर के स्वीकृत प्लांटेशनों में भी खेला कर गए। मात्र दो हफ्तों में 250 हेक्टयर के प्लांटेशनों में सीपीटी अथवा सीपीडब्ल्यू तैयार हो गई ।गड्डे भी खुद गए और भुगतान भी हो गया । जो किसी अजूबे से कम नहीं है।मजदूरी में स्वीकृत काम  मशीनों से हुआ । ओर आनन फानन में सीपीटी सीपीडब्ल्यू सहित गड्डो का भुगतान भी सीसीएफ के सेवानिवृत से पहले कर दिया गया जिससे नीचे से ऊपर तक सभी का कमीशन समय पर पहुंच सके । हालाकि डीएफओ हेमंत रायकवार से सूचना के अधिकार के तहत 2022_23 के प्लांटेशनों सहित प्रथम वर्ष की प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी गई थी,जिसको डीएफओ हेमंत रायकवार ने विनिर्दिशीत बताते हुए जानकारी नहीं दी थी । 





मधुसूदनगढ़ वन परिक्षेत्र के बंजला में सबूत की जरूरत नहीं।


गुरु चेला की जुगल जोड़ी की दास्तान मधूसुदन गड़ के बंजला में आसानी से देखने मिल जाएगा । यहां पालीवाल के समय दोहरी सुरक्षा के नाम पर हुआ फर्जी वाडा पी 757 व पी 757 आ 50 ओर 78 हेक्टयर में मिल जाएगा । यहां दोहरी सुरक्षा के नाम पर दोनो प्लांतेश्नो में एक फिट से भी कम कोपरा रूपी पत्थर की दीवाल तो दूसरी ओर जेसीबी के सुफे से बनाई गई या झाड़ू लगाई गई सीपीटी आसानी से नजर आ जाएगी । पर गड्डे और पौधे ढूढना तो यहां ऊपर वाले के हाथ में भी नही । पौधे और गड्डे अदृश्य हो चुके हैं, या फिर बंजला में प्लांटेशन में लगे पौधे और गड्डे अदृश्य तरीके से अदृश्य पौधे गड्डे लगाए गए हैं। अदृश्य इसलिए भोपाल से आए एक एसीसीएफ जांच अधिकारी ने यहां सबकुछ ठीक दर्शाया था हालाकि ये बात ओर हे सूत्रों के अनुसार जांच अधिकारी ने 6 लाख की नगद पेशगी ली थी । वही ताजा मामला दोनो गुरु चेला के रहते हुए बंजला में एक और प्लांटेशन स्वीकृत हुआ जिसकी सीपीटी खंती जेसीबी मशीन से बनवाई गई । जबकि मजदूरों से सीपीटी का कार्य किया जाना था। हालाकि दोनो अधिकारियों के रहते हुए भी हमारी ओर से खुलासे किए गए थे पर गुरु चेला की जोड़ी ने इस और ध्यान नहीं दिया था । अब देखना होगा नवागत गुना वन मण्डल प्रभारी सर्वेश सोनवानी मामलो को संज्ञान में लेते हुए वन बल प्रमुख , केम्पा प्रमुख तक पहुंचाते हैं या नही ।

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