गुना वन मण्डल में नियम कायदे खुटी पर । कृष्ण मृग के बाद गोयली कांड बने कालातीत

 


गुना वन मण्डल में नियम कायदे खुटी पर । कृष्ण मृग के बाद गोयली कांड बने कालातीत 

नियुक्ति फील्ड की , अटेच मुख्यालय पर

शिवपुरी /एक और जहां मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस सहित कड़ाई से विभागो में नियमो के पालन की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर वन विभाग भ्रष्टाचार में सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा साथ ही सारे नियम कायदे भी खुटी पर टंगे नजर आते हैं। जिस तरह से शिकार की रोकथाम के लिए सुरक्षा श्रमिको के लिए जुलाई 2022  में आई बजट की 25 लाख की राशि की बंदर बांट फर्जी व्हाउचरो द्वारा की गई है।जिसकी पोल सतनपुर मामले में खुल गई थी । ऐसे ही सीसीएफ पालीवाल के समय प्लांटेश्नो में दोहरी सुरक्षा के नाम पर सीपीटी और सीपीडब्ल्यू का खेल कमीशन के लिए किया गया । तेंदू पत्ता कमीशन की राशि को भी प्लांटेशन के नाम पर जमकर बंदर बांट कर ली गई । इन सब गड़बड़ घोटाले होने ओर उनके खुलासे होने के बावजूद न तो सरकार जागी और न ही सरकार की जांच एजेंसियां जागी और प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की जीरो टॉलरेंस और नियमो का कड़ाई से पालन करने वाली बात महज एक हवा का गुब्बारा बन कर रह गई ।

कृष्ण मृग शिकार ओर गोयली कांड कागजों में दफ्न ।

मधुसूदनगढ वन परिक्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2019 की 23_24 जून की रात्रि के समय एक सफेद रंग की चार पहिया वाहन से कृष्ण मृग व नील गाय का शव वाहन की डिग्गी से सर और धड़ अलग अवस्था में बरामद हुए थे। वही शिकारी रात का फायदा उठा कर भागने में कामयाब हुए थे । जिसमे वाहन जप्त होने के बावजूद और कृष्ण मृग श्रेणी 1 का प्राणी होने से वाइल्ड लाइफ से भी जुड़ा होने पर भी शिकारियों की पकड़ नही की गई । उल्टा शिकार की फाइल को दबाकर कालातीत में तब्दील कर दी गई। जबकि समय समय पर समीक्षा की जाती है, इस मामले में तत्कालीन रेंजर ,एसडीओ ,डीएफओ से वर्तमान रेंजर एसडीओ डीएफओ की समीक्षा पर सवालिया निशान लगना लाजमी है। ऐसे ही फतेहगढ़ वन परिक्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2017 _2018 में शिकारियों से दर्जनों गोयली जिंदा अवस्था में बरामद की गई थी। तत्कालीन रेंजर दशरथ अखण्ड द्वारा मामले को लेन देन कर दबा दिया गया था । जिसकी फाइल भी कही दफ्न हो गई है। मामले में चालान पेश कर शिकारियों को कोर्ट में पेश करना था जो आज तक नही हुआ ।

नियुक्ति और तनख्वाह फील्ड की , ड्यूटी हेड ऑफिस की ।

गुना वन मण्डल में नियम और कानून तो जैसे खुटी पर टांग कर  रख दिए हो । गुना वन मण्डल में ऐसे एक दर्जन के लगभग वन कर्मी हे,जिनकी भर्ती तो फील्ड में कार्य के लिए हुई थी।पर नियमो को दरकिनार कर फील्ड में पदस्थ कर्मियों को वन मण्डल के ऑफिस में लगाया गया है। गुना वन मण्डल के स्टेनो ही दो दो कर्मियों से अपना कार्य करा  रहे ।एक वन कर्मी तो ऐसे है जिनकी पदस्थापना से लेकर प्रमोशन भी वन मण्डल कार्यालय में हो गया और साहब आज भी वन मण्डल में ही सेवक हैं। वही अगर सूत्रों की माने तो इन कर्मियों की तनख्वाह तो फील्ड में काम दर्शा कर निकाली जा रही है। साथ ही वनमण्डल में इनका फील्ड कर्मियों का काम करना भी नियमो के विपरीत है। सूत्रों का यह भी कहना है वनमण्डल में परसेंटेज अच्छा खासा मिल जाता है,जिस कारण से भी फील्ड में नियुक्त वनकर्मी भी वनमण्डल से बाहर जाना ही नही चाहते । ओर जो भी अफसर आता है वो भी कभी इस और ध्यान नहीं देते ।

गुना डीएफओ के कार्यकाल में भ्रष्टाचार सातवे आसमान पर ।

गुना डीएफओ हेमंत रायकवार के कार्यकाल के दौरान प्लांटेशनों के नाम पर फर्जी व्हाउचारो का खेल जमकर खेला गया है। भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं लांघ कर बिना आवक जावक के व्हाउचरो के सिर्फ नंबर रजिस्टर पर दर्ज कर रातों रात भुगतान किए गए हैं। इसी तरह खाद और मिट्टी में भी करोड़ों रुपय के फर्जी भुगतान भोपाल और शिवपुरी की फर्मों से सांठ गांठ कर किए गय हे। सबसे हैरानी की बात है रातों रात शिवपुरी और भोपाल की फर्मों ने बिना किसी वाहन के गुना की आठों रेंजों में मिट्टी और खाद सप्लाई कर दी जो अपने आप में संदिग्ध हे जिसकी जांच होने पर सारा खेल निकलकर सामने आ सकता है। वही जो पौधरोपण के गड्ढों में खाद और मिट्टी लाई गई है वो आस पास या प्लांटेश्नो से ही अवैध उत्खनन कर लाई गई है।गोबर खाद भी ग्रामीणों से ओने पोने दामों पर खरीदी की गई है। जंगली जानवरों के सुरक्षा के फंड में तीस प्रतिशत कमीशन का खेल । फायर लाइन , फेयर वेदर के नाम पर फर्जी भुगतान जैसे तमाम गड़बड़ घोटाले डीएफओ हेमंत रायकवार के कार्यकाल में हुए ,जिनकी प्रशानिक जांच की जाय तो करोड़ों का घोटाला और गबन निकलकर सामने आ जाएगा ।

गुना डीएफओ हेमंत रायकवार के फिलहाल तबादला सूची में नाम आ गया है। इनकी जगह एक बार फिर नियम कायदे कानून को ताक पर रख प्रशिक्षु सर्वेश सोनवानी  गुना उप वनमण्डल अधिकारी को प्रभार दिया गया है। जबकि गुना प्रथम श्रेणी के अफसर (सीएफ) की नियुक्ति हे डीएफओ भी नंबर दो की रैंक पर गुना वनमण्डल आता है।

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

 


 



#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !