शहर में लूट : लचर पुलिसिंग और बढ़ता अपराध

 शहर में लूट : लचर पुलिसिंग और बढ़ता अपराध

संजय बेचैन


शिवपुरी / शहर में अपराध का बढ़ता ग्राफ और कानून व्यवस्था की नाकामी का ताज़ा उदाहरण सिद्धेश्वर रोड पर हुई 80 लाख की लूट है। जब शहर की पॉश कॉलोनी में आधा दर्जन सशस्त्र बदमाश आसानी से घुसकर एक स्कूल संचालक के घर में घंटों तक लूटपाट कर सकते हैं, तो आम जनता की सुरक्षा की क्या उम्मीद की जाए

इस वारदात को देखकर यह स्पष्ट है कि अपराधियों को पुलिस प्रशासन का कोई भय नहीं है। बदमाशों ने पूरी योजना के तहत इस घटना को अंजाम दिया—गेट की कुंडी काटी, चौकीदार को बंधक बनाया, और घर में रखे बेशकीमती आभूषणों पर हाथ साफ कर दिया। गनीमत रही कि चौकीदार ने हिम्मत दिखाई और किसी तरह दीवार फांदकर शोर मचाया, वरना अपराधी और बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते थे।

`पुलिस की नाकामी और सवालों के घेरे में जांच`

इस लूट की जांच पुलिस के लिए अग्निपरीक्षा साबित हो रही है। शुरुआती जांच में पुलिस घटना को दबाने की कोशिश करती दिखी, लूट की वास्तविक राशि को लेकर भी प्रशासन असमंजस में रहा। *सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब पूरा परिवार शादी में बाहर गया था, तो इतने कीमती आभूषण घर में रखने का क्या औचित्य था❓* क्या यह कोई सुनियोजित साजिश थी या फिर किसी करीबी व्यक्ति की संलिप्तता?

अपराधियों को संरक्षण क्यों❓

शहर में लूट, डकैती और चोरी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लाजमी हैं। अपराधियों की न तो कोई ठोस पहचान हो पाती है, न ही गिरफ्तारी की जाती है। अगर वारदात का पैटर्न देखा जाए, तो यह धरनावदा के पारदी-कंजर गिरोह से मेल खाता है, जो लंबे समय से इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहा है।

इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या शहर अब अपराधियों के हवाले कर दिया गया है? जनता में भय का माहौल है और अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं। प्रशासन को चाहिए कि तत्काल प्रभाव से शहर की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए, गश्त बढ़ाई जाए और अपराधियों पर नकेल कसी जाए। यदि पुलिस प्रशासन अब भी ढुलमुल रवैया अपनाएगा, तो शिवपुरी जल्द ही अपराधियों का स्वर्ग बन जाएगा, और आम आदमी का जीवन असुरक्षित होता जाएगा।

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